
भगवान् राम ने तो केवल राम राज्य का कलश स्थापित किया ..परन्तु वास्तव में राम राज्य इन सबके प्रेम, त्याग, समर्पण और बलिदान से ही आया .!! जिस मनुष्य में प्रेम, त्याग, समर्पण की भावना हो उस मनुष्य में राम हि बसता है… कभी समय मिले तो अपने वेद, पुराण, गीता, रामायण को पढ़ने और समझने का प्रयास कीजिएगा .,जीवन को एक अलग नज़रिए से देखने और जीने का सऊर मिलेगा .!! “लक्ष्मण सा भाई हो, कौशल्या माई हो, स्वामी तुम जैसा, मेरा रघुराइ हो.. नगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो, चरण हो राघव के, जहाँ मेरा ठिकाना हो.. हो त्याग भरत जैसा, सीता सी नारी हो, लव कुश के जैसी, संतान हमारी हो.. श्रद्धा हो श्रवण जैसी, सबरी सी भक्ति हो, हनुमत के जैसी निष्ठा और शक्ति हो… “ ये रामायण है, पुण्य कथा श्री राम की।